Kejriwal’s Strategy: आतिशी ही क्यों बनी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री, क्या है केजरीवाल की रणनीति ?

Kejriwal’s Strategy: भले ही दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त न हो, राज्य में स्थायी सरकार होने के बावजूद ढेरो पावर केंद्र सरकार के हाथ में हो, पर दिल्ली और वहां मौजूद सरकार हर बार देश की राजनीती में एक अहम योगदान निभाती। लोकपाल बिल और अन्ना आंदोलन के जरिये लाइमलाइट में आये अरविन्द केजरीवाल जबसे मुख्यमंत्री बने है तबसे लेकर अबतक उनका कद काफी बड़ा हो चुका है। देश की राजनीती में केजरीवाल ने एक अच्छी पैठ बना ली है। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर सत्ता में आने वाले केजरीवाल इन दिनों खुद घोटाले के आरोपों से घिरे है, और लम्बे समय से जेल में भी थे। बीते दिनों SC ने उन्हें सीबीआई केस में जमानत तो दे दी पर कई सारी शर्तों के साथ…. मायने केजरीवाल कई पाबंदियों के साथ जेल से बाहर आये। जिसमें सबसे बड़ी पाबन्दी तो यही थी कि वो मुख्यमंत्री रहते किसी भी तरीके का कोई ऑफिसियल वर्क या सिग्नेचर नहीं कर सकते। मतलब केजरीवाल को मुख्यमंत्री से सीधा एक आम आदमी के रूप में पटखनी। वैसे मै पहले ही क्लियर कर दू कि यहाँ आम आदमी का मतलब कॉमन मैन से है पार्टी से नहीं। खैर सब छोड़ मुद्दे पर आते है अब केजरीवाल ने CM पद से इस्तीफा दे दिया है, और नयी मुख्यमंत्री अब आतिशी मर्लेना होंगी। वैसे तो केजरीवाल के इस्तीफे के कई कारण हो सकते सकते है, जैसे पार्टी में अंतरकलह, केजरीवाल का किसी भी कागजात पर हस्ताक्षर न कर पाना, और SC का आदेश… पर केजरीवाल इस रेसिग्नेशन को ईमानदारी और सत्ता लोभ न होना पोट्रे करेंगे। ..

आप विधायक दल की बैठक के दौरान आतिशी को दिल्‍ली का नया चीफ मिनिस्टर चुन लिया गया है, इसके साथ ही केजरीवाल ने दिल्‍ली के नेतृत्‍व पर उठ रहे सवालों पर विराम लगा दिया है। जब से केजरीवाल शराब घोटाले के आरोप में जेल गए थे तबसे ये एक बड़ा मुद्दा था कि वो अपनी कुर्सी किसे देंगे। बीजेपी बार बार उनके इस्तीफे की मांग भी कर रही थी पर केजरीवाल ने जेल से सरकार चलाने का फैसला किया। हालाँकि केजरीवाल के जेल में होने के दौरान उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल लगातार उनके मैसेजेस जनता दिल्ली की जनता तक पहुंचती रही। जिसके बाद ये कयास भी लगाए जा रहे थे कि वही अगली मुख्यमंत्री हो सकती है। लेकिन इस्‍तीफे की अनाउंसमेंट के बाद या लगभग तय हो गया था कि उनके कई ख़ास लोगो में सीएम कौन बनेगा। और फाइनली जिनका नाम सामने आया वो आतिशी हैं।

अब सवाल ये है की आतिशी ही क्यों ?

दिल्‍ली के मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी के नाम पर मुहर लगना ये स्पष्ट करता है वो केजरीवाल के लिए काफी मायने रखती है साथ ही केजरीवाल जब जेल में थे उस दौरान आतिशी ने दिल्ली के सरकार के सारे कार्यभार अच्छे से संभाले। इसके अलावा मीडिया में आतिशी का नाम पार्टी तोड़ने और बगावत करने के लिए भी उछलता आया है। अब इस बात में कितनी सच्चाई है और कितना झूट ये नहीं कहा जा सकता पर कहीं न कही केजरीवाल के मन में आतिशी के बगावत करने का डर जरूर बना होगा। जबसे शराब घोटाले में केजरीवाल और मनीष सिसौदिया का नाम आया था और उनके जेल जाने के बाद से ज्यादातर सभी महत्वपूर्ण और बड़े मंत्रालय आतिशी को ही सौंपे गए थे, तो ऐसे में लाजमी वो एक बड़ा चेहरा बनकर उभरी थी। पार्टी के कामों के अलावा आतिशी केजरीवाल के विरोधियों का सामना भी डटकर कर रही थी। इन सब बातों ने उन्हें एक महत्वपूर्ण दावेदार बना दिया था। ऐसे आतिशी का मुख्यमंत्री बनना कही से शॉकिंग नहीं लगता।

आतिशी के अलावा मुख्यमंत्री के और भी कई दावेदार नजर आ रहे थे जैसे गोपाल राय, राघव चड्ढा, संजय सिंह, सुनीता केजरीवाल, कैलास गहलोत, और मनीष सिसोदिया पर केजरीवाल ने आतिशी के नाम पर मुहर लगाई इसके पीछे कई कारण है, पत्नी को मुख्यमंत्री न बनाकर केजरीवाल कहीं न कहीं जनता को ये मेसेज देना चाहते है कि उन्हें सत्ता लोग नहीं है और वो सिर्फ जनता की सेवा के लिए राजनीति में आये है। अपने इस्तीफे की घोषणा के साथ ही केजरीवाल ने ये भी स्पष्ट कर दिया था कि वो मुख्यमंत्री और सिसोदिया DCM तभी बनेंगे जब वो जनता के सामने खुद को ईमानदार साबित कर देंगे।

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खैर आतिशी आगामी चुनाव तक मुख्यमंत्री है मतलब अगले 5 महीने तक वो ही दिल्ली की मुखिया रहेंगी, अब ये देखने लायक होगा कि वो केजरीवाल की कठपुतली के रूप में काम करेंगी या खुद के निर्णय लेंगी।

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