MP NEWS-संकट कांग्रेस का है या भाजपा का?

राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा का मास्टर स्ट्रोक मान कर चल रहे हैं। उनका यह भी मानना है कि इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान होगा।

MP NEWS-मध्य प्रदेश राज्य विधानसभा चुनाव की तारीख के ऐलान होने के पहले दो सूची जारी कर दी है। राजनीतिक विश्लेषक इसे भाजपा का मास्टर स्ट्रोक मान कर चल रहे हैं। उनका यह भी मानना है कि इससे कांग्रेस को बड़ा नुकसान होगा। वे इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि ऐसा कर भाजपा ने कांग्रेस को घेरने जा रही है। बात कुछ हद तक ठीक हो सकता है लेकिन सिरे से कांग्रेस को नकारने का संकट परिस्थितियों का आंकलन किया जाना जरूरी होता है।

राज्य विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने जब पहली लिस्ट जारी की तो भाजपा का भीतरी असंतोष फूट पड़ा। अनेक कद्दावर नेताओं ने भाजपा का साथ छोड़ दिया। कुछेक नेता कांग्रेस के साथ चल दिए। भाजपा से जाने का यह सिलसिला थमा नहीं है तो कांग्रेस से भी कुछ नेताओं का मोहभंग हो रहा है। आवाजाही का यह सिलसिला चुनाव केसमय हमेशा होता रहा है और एक बार फिर यह सिलसिला शुरु हुआ तो यह किसी भी पार्टी के लिए तनाव या चिंता का कोई कारण नहीं बना लेकिन इसे बहाने एक दूसरे पर बयानबाजी होने लगी। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा तो लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस सत्ता में लौटी। कोई 15 वर्ष बाद सत्ता में वापसी के साथ कांग्रेस के पास कमलनाथ मुख्यमंत्री थे। राज्य के क्षत्रप इसे बदलाव मान रहे थे लेकिन भीतर ही भीतर असंतोष लावा बन रहा था और एक दिन यह भी आया जब सिंधिया अपने समर्थकों के साथ भाजपा के हो गए।

कांग्रेस की 15 साल बाद सत्ता में वापसी और 18 महीने में रवानगी मध्यप्रदेश की राजनीतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण इतिहास लिखा गया। इतिहास तो शिवराज सिंह चौहान के नाम भी लिखा गया जब उन्हें चौैथी बार सत्ता के शीर्ष पर बिठाकर मुख्यमंत्री बना दिया गया। राजनीति में कुछ भीस असंभव नहीं लेकिन शिवराज सिंह चौहान के रिकार्ड को ब्रेक करना थोड़ा मुश्किल है। इस पुरानी कहानी के संदर्भ में 2023 का विधानसभा चुनाव है। टेलीविजन चेनलों के शुरुआती सर्वे में कांग्रेस को बढ़त और भाजपा को पीछे बताया गया। कुछ लोगों ने कथित रूप से संघ का सर्वे भी जोड़ दिया। इसके बाद अखबारों में भाजपा के असंतोष की खबरों बाढ़ आ गई। इस बीच अमितशाह भोपाल आए तो सनसनी फैल गई। कोई शिवराज सिंह को पद से हटा रहा था तो कोई वीडी शर्मा को। शाह आए औरचले गए। सब अपनी जगह कायम रहे। अलबत्ता शाह अपनी शैली में एक प्रसंग छोड़ गए। सिंधिया राजभवन पहुंचे राज्यपाल को न्यौता देने। राष्ट्रपति ग्वालियर आ रही थीं सो उन्हें जयविलास पैलेस आने का न्योता। इस प्रकार न्यौता देने का भी मामला शायद बिरला ही होगा लेकिन राजनीतिक हलकों में फिर शिवराज सिंह चौहान को हटाने और सिंधिया को सीएम बनाने के कयास लगाए जाने लगे। यह सब सोची समझी रणनीति के तहत किया गया प्रतीत होता है क्योंकि मीडिया इसी में उलझ गया और उधर भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए पहली सूची जारी कर दी। अब प्रधानमंत्री मोदी केक भोपाल में आयोजित कार्यकर्ता कुंभ से लौटते ही भाजपा की दूसरी सूची जारी हो गई। सांसदों और केंद्रीय मंत्री को विधानसभा चुनाव में उतारकर जीत पक्की करने की कोशिश दिखती है। हालांकि जिन लोगों को शिवराज सिंह नहीं पच नहीं रहे हैं, वे इनमें से कोई को उनकी जगह पर देख रहे हैं। कांग्रेस अभी तक कोर्ठ भी सूची जारी नहीं कर पाई है। कांग्रेस के भीतर भी असंतोष कम नहीं है। असली हालत सूची जारी होने के बाद सामने आएगी। वैसे भाजपा और कांग्रेस ने ऐसे कुछ लोगों को अपने साथ रखा है और अब इम्तिहान कांग्रेस की है कि वह अपनों पर भरोसा करती है या उन पर जो हवा का रुख देख कर साथ आए हैं।  

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