Election Schedule 2024 -कैराना से लेकर मथुरा तक… जानिए पश्चिमी यूपी की सभी सीटों पर कब होगी वोटिंग

Election Schedule 2024 -उत्तर प्रदेश में ८० लोकसभा सीटें हैं. किसी भी दल के लिए दिल्ली का रास्ता यही सीटें तय करती हैं. बात करें भौगोलिक लिहाज से तो प्रदेश को अवध पूर्वांचल बुंदेलखंड पश्चमी यूपी में बांटा गया है. पश्चमी यूपी में कुल २७ लोकसभा सीटें हैं. जानिए इन सीटों पर कब वोटिंग होगी.निर्वाचन आयोग ने देशभर में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है. सात चरणों में मतदान होगा. पहले चरण में १९ अप्रैल २६ अप्रैल को दूसरे ७ मई को तीसरे १३ मई को चौथे २० मई को पांचवें २५ मई को छठे और १ जून को सातवें चरण में वोटिंग होगी. ४ जून को काउंटिंग होगी उत्तर प्रदेश में ८० लोकसभा सीटें हैं. किसी भी दल के लिए दिल्ली का रास्ता यही सीटें तय करती हैं. बात करें भौगोलिक लिहाज से तो प्रदेश को अवध पूर्वांचल बुंदेलखंड पश्चमी यूपी में बांटा गया है. पश्चिमी यूपी में कुल २७ लोकसभा सीटें हैं. इन लोकसभा सीटों पर होगी वोटिंग पहले चरण की वोटिंग:
19 अप्रैल (8 सीट)
सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर और पीलीभीत में वोटिंग होगी.

दूसरा चरण: 26 अप्रैल (8 सीट)
अमरोहा, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और मथुरा में वोटिंग होगी.

तीसरा चरण: 7 मई (10 सीट)
संभल, हाथरस, आगरा, फतेहपुर सीकरी, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, बदायूं, आंवला और बरेली में मतदान होगा.

पश्चिमी यूपी को जाट और मुस्लिम बाहुल्य इलाका माना जाता है. बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. 8 सीटों पर महागठबंधन ने कब्जा किया था. इनमें 4 सपा और 4 बसपा के खाते में आई थी. जयंत अपने पुश्तैनी क्षेत्र बागपत से चुनाव लड़े और बीजेपी के डॉ. सतपाल मलिक से 23 हजार वोटों से हार गए थे. मथुरा से आरएलडी के कुंवर नरेंद्र सिंह को हेमा मालिनी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. इसी तरह जाटों के लिए बेहद सुरक्षित मानी जाने वाली मुजफ्फरनगर सीट से अजित सिंह पहली बार चुनाव लड़े थे.

मगर, बीजेपी के संजीव बालियान से 6500 से ज्यादा वोटों से हार गए थे. अजित और जयंत चौधरी को सपा-बसपा के अलावा कांग्रेस का भी समर्थन मिला था. यह लगातार दूसरा आम चुनाव था, जब चौधरी परिवार को खाली हाथ रहना पड़ा था.आरएलडी को किसी भी सीट पर जीत नसीब नहीं हुई थी. यहां तक कि जयंत को पश्चिमी यूपी में जाट समाज का भी साथ नहीं मिला था. यही नहीं, 2014 के चुनाव में भी जयंत को निराशा हाथ लगी थी और एक भी सीट नहीं मिली थी.

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