‘कोरोना महामारी की मार, निकम्मी सरकार’…PM मोदी के 7 साल पर कांग्रेस का वार, पेश की नाकामियों की चार्जशीट
नई दिल्ली। कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के सात साल पूरे होने पर शीर्ष नेतृत्व को घेरा है. कांग्रेस ने कहा है कि देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है, इसके लिए जिम्मेदार मौजूदा केंद्र सरकार है. अर्थव्यवस्था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में गर्त व्यवस्था में बदलती चली जा रही है. कोरोना महामारी पर केंद्र के प्रबंधन को लेकर भी कांग्रेस पार्टी ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस के महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि मोदी सरकार देश के लिए हानिकारक है और ये सात साल, आपराधिक भूल हैं.
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आई, तो उसे विरासत में कांग्रेस कार्यकाल की औसतन 8.1 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर मिली. पर कोरोना महामारी से पहले ही मोदी सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के चलते जीडीपी की दर साल 2019-20 में गिरकर 4.2 प्रतिशत रह गई. 73 साल में पहली बार देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है.’
उन्होंने कहा कि साल 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी की दर गिरकर माइनस 24.1 प्रतिशत हो गई. हाल में ही 2020-21 की दूसरी तिमाही में यह माइनस 7.5 प्रतिशत है. अनुमानों में मुताबिक साल 2020-21 में जीडीपी दर माइनस 8 प्रतिशत रहेगी. साल 2016-17 में देश की प्रति व्यक्ति आय दर में 10.6 प्रतिशत की वृद्धि थी, जो महामारी से पहले ही साल 2019-20 में गिरकर 6.1 प्रतिशत हो गई. साल 2020-21 में प्रति व्यक्ति आय और गिरकर 5.4 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है.
‘अर्थव्यवस्था बनी गर्त व्यवस्था’
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रति व्यक्ति आय की दर में बांग्लादेश भी भारत से आगे है. साल 2020-21 में बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय USD2,227 आंकी गई. इसके उलट भारत की प्रति व्यक्ति आय USD1,947 ही आंकी गई. एक और गहन चिंता की बात यह है कि आईएमएफ के मुताबिक भारत का जीडीपी- कर्ज अनुपात साल 2019 में 34 प्रतिशत से बढ़कर साल 2020 के अंत में 90 प्रतिशत हो गया. साफ है कि अपराधिक वित्तीय कुप्रबंधन और गड़बड़ी के चलते मोदी सरकार ने देश को कर्ज के अंधे कुएं में झोंक डाला है.
’20 करोड़ का आर्थिक पैकेज साबित हुआ जुमला’
कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि अनियोजित लॉकडाऊन के बाद अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने के लिए 20 लाख करोड़ का तथाकथित पैकेज जुमला साबित हुआ. राहुल गांधी ने कहा था आप सप्लाई साईड को बूस्ट कीजिए पर मोदी सरकार ने एक न सुनी. हाल में आई RBI की रिपोर्ट के आधार पर SBI रिसर्च ने खुलासा किया है कि देश में ‘बैंक क्रेडिट ग्रोथ’ पिछले 59 साल से सबसे निचले पायदान पर है.
‘बेइंतहा बेरोजगारी, बनी है महामारी’
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार हर वर्ष दो करोड़ रोज़गार देने का वादा कर सत्ता में आई. सात साल में 14 करोड़ रोजगार देना तो दूर, देश में पिछले 45 वर्षों में सबसे अधिक चौतरफा बेरोजगारी है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी(CMIE) के ताजे आंकड़ों के मुताबिक देश में बेरोजगारी की दर डबल डिजिट का आंकड़ा पार कर 11.3 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है.
CMIE के ताजे आंकड़ों के मुताबिक केवल कोरोना काल में ही 12.20 करोड़ लोगों ने अपना रोटी-रोजगार खो दिया. इनमें से 75 प्रतिशत से अधिक दिहाड़ीदार मजदूर, छोटे कर्मचारी और छोटे दुकानदार हैं. अकेले अप्रैल, 2021 में 74 लाख लोगों को रोजगार चला गया.
‘कमर तोड़ महंगाई की मार, चारों तरफ हाहाकार’
कांग्रेस पार्टी का कहना है कि एक तरफ कोरोना महामारी और दूसरी तरफ मोदी निर्मित महंगाई, दोनों ही देशवासियों के दुश्मन बने. खााद्य पदार्थों से लेकर तेल के भाव आसमान छू रहे हैं. इसका सबसे ज्वलंत उदाहरण यह है कि कई प्रांतों में पेट्रोल 100 रुपया लीटर और सरसों का तेल 200 रुपया लीटर तक पार कर गया है.
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि जब मोदी सरकार ने मई, 2014 में सत्ता संभाली, तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का रेट USD 108 प्रति बैरल था. देश में पेट्रोल की कीमत 71.51 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल की कीमत 55.49 रुपये प्रति लीटर थी. पर मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर बेमतलब के टैक्स लगाकर 7 साल में जनता की जेब लूट 22 लाख करोड़ रुपया इकट्ठा किया है.
गैस से लेकर दलहन तक महंगाई की मार
कांग्रेस ने कहा है कि रसोई गैस की कीमतों बढ़कर 809 रुपये तक पहुंच गई हैं. यही नहीं, खाना पकाने के तेलों की कीमतों में लगी आग ने तो हर घर का बजट बिगाड़ दिया है. मई, 2020 से मई, 2021 के बीच, एक साल में ही खाना पकाने के तेलों में 60 से 70 प्रतिशत से अधिक बढ़ोत्तरी हुई. सरसों का तेल 115 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 200 रुपये प्रति लीटर पार कर गया है. सोयाबीन से लेकर पॉम ऑयल तक की कीमतें ज्यादा हो गई हैं.
कांग्रेस ने कहा कि दलहन की बढ़ती कीमतों ने हर घर के बजट को तहस नहस कर दिया है. मई 2020 से मई, 2021 तक केवल एक साल में चना दाल की कीमत 70 रुपये किलो से बढ़ 85-90 रुपये प्रति किलो हो गई. अरहर दाल की कीमत 90 रुपये किलो से बढ़ 120 रुपये प्रति किलो हो गई. यही हाल दूसरी दालों का भी है.
‘किसानों पर अहंकारी सत्ता का प्रहार’
कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आजाद भारत के इतिहास की पहली सरकार है जो न सिर्फ किसानों से उनकी आजीविका छीन कर पूंजीपति दोस्तों का घर भरना चाहती है बल्कि अन्नदाता भाइयों की प्रतिष्ठा भी धूमिल कर रही है. कभी उन पर लाठी डंडे बरसाती है ,कभी उन्हें आतंकी बताती है. कभी राहों में कील और कांटे बिछाती है. 2014 में आते ही पहले अध्यादेश के माध्यम से किसानों की भूमि के उचित मुआवज़ा कानून 2013 को बदल कर किसानों की ज़मीन हड़पने की कोशिश की.
कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार किसानों को 50 फीसदी मुनाफा देना का बहाना कर सत्ता में आई. वादे के बावजूद 2015 में सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र देकर लागत का 50 प्रतिशत ऊपर समर्थन मूल्य देने से साफ इनकार कर दिया. फिर 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नाम पर प्रायवेट कंपनियों को लूट की खुली छूट दे दी गई. 2016 खरीफ से 2019-20 तक इस योजना में लगभग 99,073 करोड़ रुपये का प्रीमियम केंद्र, राज्य और किसानों ने अदा की और बीमा कंपनियों ने 26,121 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार किसान विरोधी तीन क्रूर काले कानूनों के माध्यम से अन्नदाता किसानों की आजीविका छीनकर अपने पूंजीपति दोस्तों को देना चाहती है. आज 6 माह से किसान सड़कों पर है और सत्ता के अहंकार में चूर मोदी सरकार उनकी एक नहीं सुन रही. अब तक 500 से अधिक किसानों की शहादत हो चुकी है. सरकार ये काले कानून खत्म क्यों नहीं करती?
गरीब और मध्यम वर्ग पर मार
कांग्रेस ने कहा कि विश्व बैंक की रिपोर्ट ने यह बताया कि भारत में यूपीए-कांग्रेस के 10 साल के कार्यकाल में 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ पाए. परंतु मोदी सरकार के 7 साल के बाद, PEW रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक अकेले 2020 में देश के 3.20 करोड़ लोग अब मध्यम वर्ग की श्रेणी से ही बाहर हो गए. यही नहीं, 23 करोड़ भारतीय एक बार फिर गरीबी रेखा से नीचे की श्रेणी में शामिल हो गए. गरीबी की बजाय मोदी सरकार ने गरीबों पर वार किया है.
कांग्रेने ने कहा कि जब पिछले एक साल से पूरी दुनिया के एक्सपर्ट मोदी सरकार को हर गरीब, नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग के खाते में सीधा पैसा ट्रांसफर करने की राय दे रहे थे, तो मोदी सरकार ने उसे दरकिनार कर कूड़ेदान में डाल दिया. इसे देश को भयंकर बेरोजगारी व चौपट अर्थव्यवस्था की शक्ल में भुगतना पड़ा क्योंकि खपत अत्यधिक मात्रा में गिर गई.
‘महामारी की मार, निकम्मी व नाकारा सरकार’
कांग्रेस ने कहा कि कोरोना महामारी के कुप्रबंधन के चलते देश में लाखों लोगों ने सिसक सिसक कर दम तोड़ दिया.. हालांकि मौत का सरकारी आंकड़ा 3,22,512 है, पर सच्चाई इससे कई गुना अधिक भयावह है. कोरोना महामारी ने गांव, कस्बों और शहरों में लाखों लोगों के प्रियजनों को छीन लिया. पर मोदी सरकार देश के प्रति जिम्मेदारी से पीछा छुड़ा भाग खड़ी हुई.
पूरे देश में ऑक्सीजन का गंभीर संकट है.. देश की संसदीय समिति ने नवंबर, 2020 में इसकी चेतावनी दी. कांग्रेस पार्टी व सारे विशेषज्ञों ने इसकी चेतावनी दी, पर मोदी सरकार जनवरी, 2021 तक 9000 टन ऑक्सीजन का निर्यात करती रही. देश के लोग रेमडिज़िविर के इंजेक्शन के लिए तिल तिल कर मरते रहे, पर मोदी सरकार ने 11 लाख से अधिक रेमडेसिविर इंजेक्शन का निर्यात कर डाला. जीवनरक्षक दवाईयों की खुली लूट चलती रही, और मोदी सरकार जानबूझकर तमाशबीन बनी रही.
कैसे बचेगी तीसरी लहर से जनता
कांग्रेस ने कहा कि जब दुनिया के सब देश मई, 2020 में अपने नागरिकों के लिए वैक्सीन डोज़ खरीद रहे थे, तो मोदी सरकार जनवरी, 2021 तक सोई पड़ी थी.. आज भी देश के 140 करोड़ जनसंख्या के लिए मात्र 39 करोड़ वैक्सीन डोज़ का ऑर्डर दिया गया है. पिछले 132 दिन में देशवासियों को वैक्सीन लगाने की औसत 15.46 लाख प्रति दिन है. अब तक वैक्सीन की 20.80 करोड़ डोज ही लगाई गई है. इस गति से 18 साल की आयु से अधिक देश के सभी व्यस्कों को वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया 22 मई 2024 तक यानि 1091 दिन में पूरी हो पाएगी. क्या तीन साल तक देश वैक्सीन लगाने का इंतजार कर सकता है? ऐसे में कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर से देशवासी कैसे बच पाएंगे.
एक देश, एक वैक्सीन और पांच अलग अलग कीमतें निर्धारण करके मोदी सरकार खुली मुनाफाखोरी को बढ़ावा दे रही है. क्या मोदी सरकार बताएगी कि जब देशवासियों के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं, तो 6.63 करोड़ वैक्सीन का निर्यात भारत से दूसरे देशों में क्यों किया गया? क्या इससे देशवासियों की जिंदगी खतरे में नहीं डाल दी गई?
राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़
कांग्रेस पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार देश की संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने में पूरी तरह से फेल साबित हुई है. चीन को लाल आंख दिखाना तो दूर, बीजेपी सरकार चीन को लद्दाख में हमारी सीमा के अंदर किए गए अतिक्रमण से वापस नहीं धकेल पाई. चीन ने आज भी डेपसांग प्लेंस में भारतीय सीमा के अंदर LAC के पार वाई-जंक्शन तक कब्जा कर रखा है, जिससे भारत की सामरिक हवाई पट्टी, दौलतबेग ओल्डी एयर स्ट्रिप को सीधे खतरा है.
मोदी सरकार ने पैंगोंग त्सो लेक इलाके में कैलाश रेंज में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पहाड़ों की चोटियों पर भारतीय सेना के कब्जे को हटाने का एक तरफा निर्णय कर दिया भारतीय सीमा के अंदर ही LAC के इस पार बफर जोन बना दिय. यह सीधे सीधे भारत की संप्रभुता से खिलवाड़ है. कांग्रेस ने कहा कि चीन के द्वारा अरुणाचल प्रदेश में हमारी सीमा के अंदर एक पूरा गांव बसा लिया गया, पर सरकार चुप है. यही नहीं, डोकलाम क्षेत्र में चीन ने गैरकानूनी तरीके से कब्जा कर चिकन नेक तक पक्की सड़कों का निर्माण कर लिया, जिससे हमें सामरिक दृष्टि से खतरा है. पर मोदी सरकार चुप है.
कांग्रेस पार्टी ने कहा कि न उग्रवाद पर नियंत्रण हुआ और न ही नक्सलवाद पर. उल्टे नक्सलवादी आए दिन हमारी सुरक्षा एजेंसियों पर घातक हमले कर रहे हैं. पर प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के पास इससे निपटने के लिए कोई नीति नहीं. साफ है कि देश सात सालों की मोदी सरकार की नाकामयाबी को भुगत रहा है. इसीलिए, मोदी सरकार देश के लिए हानिकारक है.