एशियाई देशों के साथ अपने संबंधों को नई ऊंचाइयों देने की कोशिश में भारत

अपने बयान में विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है नेताओं से भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने को लेकर चर्चा होने की उम्मीद है। उनसे क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों विशेष रूप से उभरती क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर विचारों के आदान-प्रदान करने की भी अपेक्षा है। सुरक्षा मामलों के अलावा यह शिखर सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) जैसी बुनियादी ढांचागत परियोजनाएं और भारत एवं मध्य एशियाई देशों की आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। अफगानिस्तान की स्थिति को देखते हुए मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध महत्वपूर्ण हैं। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों के साथ पिछले महीने क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए, अफगानिस्तान पर विचार-विमर्श किया था। इसमें शामिल सभी पक्षों ने अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करने पर सहमति व्यक्त करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 पर जोर दिया था, जो किसी भी आतंकवादी गतिविधियों के लिए अफगान क्षेत्र का उपयोग नहीं करने पर जोर देता है।
इस बैठक में मंत्रियों ने आईएनएसटीसी पर भी विस्तार से चर्चा की गई थी जो सड़क, रेल और जहाज द्वारा मध्य एशिया को दक्षिण एशिया से जोड़ने में मददगार साबित होंगी। बैठक में चाबहार बंदरगाह को आईएनएसटीसी के ढांचे में शामिल करने के प्रस्ताव का भी हर मंत्री ने स्वागत किया था। ढांचागत और सुरक्षा मामलों में मध्य एशियाई देशों के साथ भारत का सहयोग एक बहुपक्षीय दुनिया के अपने वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक कदम है जहां प्रत्येक राष्ट्र का विकास एक साथ होता है।
ढांचागत और सुरक्षा मामलों में मध्य एशियाई देशों के साथ भारत का सहयोग एक बहुपक्षीय दुनिया के अपने वैश्विक लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक अहम कदम है जहां प्रत्येक राष्ट्र का विकास एक साथ होता है। नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के बाद विस्तारित पड़ोस पर ध्यान:
बता दें कि भारत ने हाल के दिनों में ‘नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी’ के तहत अपने दक्षिण एशियाई भागीदारों के साथ सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया है। यही नहीं नई दिल्ली ने अन्य क्षेत्रों में भी अपने संबंध बनाने के महत्व को पहचानते हुए अपने ‘विस्तारित पड़ोस’ पर ध्यान केंद्रित किया है। इसकी लेकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष होने वाले भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में मध्य एशियाई देशों के सभी राष्ट्राध्यक्षों को निमंत्रण दिया था, लेकिन ओमीक्रन के बढ़ते हुए मामले को देखते हुए कार्यक्रम रद्द करना पड़ा।
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)

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