ऊंचाहार परियोजना पर संकट के बादल , बढ़ नहीं रहा उत्पादन

रायबरेली की बड़ी परियोजना पर  बंद उद्योगों का असर गहराया 
ऊंचाहार (रायबरेली ) देश की बड़ी बिजली उत्पादक कम्पनी एनटीपीसी की ऊंचाहार परियोजना पर कोरोना के कारण  बंद हुए उद्योगों का खासा असर है । जिसके कारण इस परियोजना पर संकट के बादल छाए हुए है । और विगत छह माह से परियोजना अपनी क्षमता से आधे भार पर चल रही है । 

   देश में पहले आर्थिक मंदी उसके बाद कोरोना के संकट का सबसे ज्यादा असर बिजली उत्पादन पर पड़ा है । देश में बंद हुए उद्योगों के कारण बिजली की मांग घटी है । जिसका असर एनटीपीसी की ऊंचाहार और टांडा की परियोजनाओं पर पड़ा है । क्योंकि दोनों परियोजनाओं की बिजली अन्य परियोजनाओं की तुलना में मंहगी है । यही कारण है कि बीते मार्च माह से उत्पादन घटा है , और इस समय परियोजना अपनी कुल उत्पादन क्षमता से आधे भार पर चल रही है । ऊंचाहार परियोजना में स्थापित कुल छह इकाइयों में पांच यूनिटों में प्रत्येक की उत्पादन क्षमता 210 मेगावाट और छठवीं यूनिट की उत्पादन क्षमता 500मेगावाट है ।

ऊंचाहार परियोजना कुल 1550 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता रखती है । लेकिन वर्तमान की परिस्थितियों में परियोजना को करीब 700 से 800 मेगावाट की क्षमता पर चलाया जा रहा है । लॉकडाउन के दौरान तो परियोजना की चार यूनिटों को पूरी तरह बंद कर दिया गया था । और परियोजना की दो इकाइयों को बमुश्किल 400 मेगावाट की क्षमता पर चलाया गया था । अनलाक के बाद परियोजना की  यूनिटों को चलाया तो गया है , किन्तु बिजली की मांग न होने के कारण उन्हें आधे भार पर चलाया जा रहा है ।


क्यों महंगी है ऊंचाहार की बिजली

 ऊंचाहार परियोजना में छोटी छोटी ( 210 मेगावाट ) इकाइयां स्थापित है । इनमे से यूनिट संख्या एक से लेकर चार तक काफी पुरानी यूनिटें है । जिसमे मरम्मत आदि का खर्च काफी अधिक रहता है । इसके अलावा ऊंचाहार परियोजना को कोयले की आपूर्ति झारखंड के कोयला खदानों से की जाती है । जिसने माल भाड़ा का खर्च भी काफी अधिक आता है । जबकि दूसरी ओर टांडा परियोजना को छोड़ दें तो उत्तरी क्षेत्र की अधिकतर परियोजनाएं  कोयला और पानी की सुलभता के करीब है । इसलिए उन परियोजनाओं की बिजली की दर काफी कम है ।

ऊंचाहार परियोजना जैसी स्थिति टांडा परियोजना की भी है । यही कारण है कि एनटीपीसी के पास जो उपभोक्ता है , वह ऊंचाहार व  टांडा परियोजनाओं की बिजली खरीदने से कतराते है । इधर आर्थिक मंदी और कोरोना के कारण जो उद्योग बंद हुए है , उसके कारण बिजली की मांग घटी है । और जो उपभोक्ता बिजली ले रहे है , उन्हें अन्य परियोजनाओं से आपूर्ति की जा रही है ।

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