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जनजातीय समुदाय का शैक्षिक विकास आवश्यक: राष्ट्रपति कोविंद

दमोह। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मध्यप्रदेश के दमोह जिले के सिंग्रामपुर में रविवार को राज्य स्तरीय जनजातीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षा ही किसी भी व्यक्ति या समुदाय के विकास का सबसे प्रभावी माध्यम है, इसलिए जनजातीय समुदाय के शैक्षिक विकास के लिए प्रयास करना बहुत महत्वपूर्ण है।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में इस अंचल की प्रसिद्ध रानी दुर्गावती का स्मरण करते हुए कहा कि वे उन्हें देवी के रूप में सम्मान देते हैं। वे शौर्य और साहस का प्रतीक थीं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी का भी स्मरण किया और कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान ही केंद्र सरकार में एक अलग जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन किया गया था।

इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद पटेल और केंद्रीय जनजातीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी मौजूद थे।

राष्ट्रपति कोविंद ने जनजातीय शौर्य गाथा का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेजी हुकुमत के दौरान यदि हमारे आदिवासी भाई बहनों ने वीरता और पराक्रम का प्रदर्शन नहीं किया होता, तो हमारी अमूल्य वन संपदा का और भी बड़े पैमाने पर दोहन हो चुका होता। इस तरह उन्होंने हमारे प्राकृतिक संसाधनों के प्रहरी और रक्षक की भूमिका निभायी है।

राष्ट्रपति ने कहा कि यह सराहना की बात है कि मध्य प्रदेश में संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों के निर्माण एवं संचालन पर विशेष बल दिया जा जा रहा है। जनजातीय छात्राओं में साक्षरता और शिक्षा के प्रसार के लिए मध्यप्रदेश में कन्या शिक्षा परिसरों के निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है।

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