New Delhi: एक चुनी हुई सरकार को झंडा फहराने से रोकना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण- मनीष सिसोदिया

New Delhi: दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने के मुद्दे पर वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर दिल्ली में चुनी हुई सरकार को झंडा फहराने से रोकना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि तिहाड़ से महाठग सुकेश की चिट्ठी तुरंत एलजी साहब के पास पहुंच जाती है और वो इस पर एक्शन भी लेते हैं, लेकिन उन तक चुने हुए मुख्यमंत्री की चिट्ठी नहीं पहुंचती है। जिस एलजी को महाठग सुकेश की चिट्ठियों से इतना प्यार है कि उसके एक-एक शब्द को सच मानते हैं। उन एलजी को एक बार दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री की चिट्ठी को भी तिहाड़ से मंगवा लेना चाहिए।

वहीं वरिष्ठ नेता आतिशी ने भी कहा, “आज एक चुनी हुई सरकार के झंडा फहराने के अधिकार काे छीना जा रहा है। आज दिल्ली में एक नए वायसराय आ गये हैं जो कह रहे हैं कि झंडा वो फहराएंगे। 15 अगस्त को तिरंगा फहराना देश के लोगों का अधिकार है। दिल्ली के लोगों को अधिकार है। दिल्ली के लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का अधिकार है। अगर चुनी हुई सरकार को झंडा नहीं फहराने दिया जाता तो तानाशाही का इससे बड़ा कोई और प्रमाण नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि हम 15 अगस्त को तिरंगा इसलिए फहराते हैं क्योंकि 15 अगस्त 1947 वो दिन था, जब भारत के लोगों को ख़ुद पर राज करने का अधिकार मिला। इससे पहले भारत में अंग्रेजों का राज होता था, जो भारत में एक वायसराय को भेजते थे और वो मनमर्ज़ी से अपनी सरकार चलाता था। उस सरकार में भारत के लोगों का कोई अधिकार नहीं होता था।

आप नेता आतिशी ने कहा कि हम 15 अगस्त को तिरंगा लोकतंत्र के लिए, आज़ादी के लिए, भारत के लोगों के हक़ की आवाज़ के लिए फहराते हैं। लेकिन आज एक चुनी हुई सरकार के झंडा फहराने के अधिकार काे छीना जा रहा है। आज मानो दिल्ली में एक नए वायसराय आ गये है जो कह रहे हैं कि झंडा वो फहराएंगे।

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उन्होंने कहा, “मैं एलजी से कहना चाहती हूं कि, 15 अगस्त को हमें यूनियन जैक नहीं बल्कि स्वतंत्र भारत का तिरंगा फहराना है और वो तिरंगा फहराना देश के लोगों का अधिकार है, दिल्ली के लोगों को अधिकार है और दिल्ली के लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का अधिकार है। अगर चुनी हुई सरकार को झंडा नहीं फहराने दिया जाता तो तानाशाही का इससे बड़ा कोई और प्रमाण नहीं होगा। हम देखेंगे कि भाजपा तानाशाही के साथ खड़ी है या फिर लोकतंत्र के साथ खड़ी है।”

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