Hanuman Jayanti Special: अयोध्या के कालेराम मंदिर में पारंपरिक श्रद्धा और उत्साह से मनाई गई हनुमान जयंती
Hanuman Jayanti Special: चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के पावन अवसर पर रामनगरी अयोध्या स्थित स्वर्गद्वार के ऐतिहासिक कालेराम मंदिर में हनुमान जयंती का भव्य आयोजन शनिवार को श्रद्धा और भक्ति के भावों के साथ सम्पन्न हुआ। प्रातः 4:30 बजे से प्रारंभ हुए पूजन कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने भगवान की आराधना में भाग लिया।
प्रातः 6 बजे मंगल ध्वनियों के मध्य पवनपुत्र हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाया गया। पुजारी गोपाल राव देशपांडे ने सरयू जल से हनुमान जी का अभिषेक कर पूजा आरंभ की। इसके उपरांत भगवान का श्रृंगार कर आरती की गई।
अद्वितीय रूप में प्रतिष्ठित हैं कालेराम के हनुमान जी
मंदिर में दक्षिणाभिमुख हनुमान जी का जो विग्रह प्रतिष्ठित है, वह सामान्य हनुमान स्वरूप से भिन्न, देवी स्वरूप में है। इस रूप में उनके हाथों में गदा के स्थान पर कटार है और पैरों के नीचे राक्षस अहिरावण दबा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि यह रूप हनुमान जी ने उस समय धारण किया था जब वे पाताल लोक जाकर अहिरावण का वध कर भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराकर लाए थे।
कालेराम मंदिर के महंत राघवेंद्र राव दिगंबर देशपांडे ने बताया कि गर्भगृह में विराजमान श्रीराम पंचायतन की दिव्य मूर्ति काले सालिग्राम के एक ही शिला से निर्मित है, जिसमें भगवान श्रीराम, चारों भ्राता और माता जानकी एक साथ दर्शन देते हैं। यह मूर्ति पहले श्रीरामजन्मभूमि में प्रतिष्ठित थी, जिसे 1528 में अपवित्रता की आशंका के चलते सरयू में प्रवाहित कर दिया गया था। एक महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण को स्वप्न में इस दिव्य मूर्ति के दर्शन हुए और बाद में यह मूर्ति उन्हें सरयू स्नान के दौरान प्राप्त हुई।
धार्मिक कथा और भावपूर्ण आयोजन
इस अवसर पर संत राम शरण दास रामायणी ने उपस्थित भक्तों को भगवान हनुमान के जन्म की प्रेरणादायक कथा सुनाई। मंदिर परिसर भक्तों के जयकारों और भजनों से गुंजायमान रहा।
जानकी महल में भी संध्याकालीन आयोजन
अयोध्या के जानकी महल, जिसे माता सीता का मायका माना जाता है, में भी हनुमान जयंती का आयोजन चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को ही होता है। यहां संध्या समय गोधूलि बेला में विधिवत पूजन, हनुमान चालीसा व सुंदरकांड के संगीतमय पाठ, बधाई गीत और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत अभिषेक तथा षोडशोपचार पूजन किया जाएगा।
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भक्तों की उमड़ी श्रद्धा
इस पावन अवसर पर मंदिर में पुजारी गोपाल राव देशपांडे, सहायक पुजारी भालचंद्र देशपांडे, हनुमत सदन के महंत अवध किशोर शरण समेत सैकड़ों भक्त उपस्थित रहे। श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण कर महोत्सव का समापन किया गया।