फरूखाबाद : कोरोना की लडाई में मनोबल न गिरने दें “डॉ. अरिदमन”

डॉक्टर किसी के लिए उम्मीद तो किसी के लिए भगवान का दूसरा रूप हैं पर कोरोनोवायरस के खिलाफ लड़ाई के दौरान डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी भी बेहद कठिन दौर से गुजर रहे हैं। जहाँ जनपद के कई डॉक्टर ड्यूटी के चलते कई दिनों से घर वापस नहीं जा पा रहे है, वहीँ कई संक्रमण की चपेट में भी आए। कुछ दिन पहले 17 जुलाई को मेडिकल ऑफिसर डॉ अरिदमन सिंह कोरोना संक्रमण का शिकार हो गए थे। पर यह बड़ी राहत की बात है कि कोरोना से जंग जीतने के बाद एक बार दोबारा कोरोना के खिलाफ़ लड़ने की कमान वापस संभाल ली है।


डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर के पद पर तैनात डॉ अरिदमन सिंह राठौर अभी मात्र 26 वर्ष के है वो पर इमरजेंसी सेवा में लोगों को सेवाएं देतें हैं और लोग उनसे प्रसन्न होकर जाते हैं |
डॉ सिंह मूलतः अलीगंज जिला एटा के रहने वाले हैं | इनके घर में माता पिता और दो भाई हैं | डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में सर्विस करने से पहले कानपुर में मेडिकल मोबाईल यूनिट में कार्य करते थे |


डॉ सिंह बताते हैं कि मैंने 26 जनवरी 2020 को इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसरके रूप कार्य करना शुरू किया | अभी कुछ समय ही गुजरा था कि कोरोना नाम की अद्रश्य बीमारी विश्व में आ गयी सोचा कि यह तो बहुत ही घातक है |विश्व में बहुत ही खतरनाक तरीके से फ़ैल रही है एक बार तो मन में आया कि घर चला जाऊँ पर मेरे माता पिता और भाई ने हिम्मत बढाई की इससे डरना नहीं है और अपने काम की और ध्यान दो मुझे कुछ हिम्मत मिली और मैं अपने कार्य में लग गया |
डॉ सिंह कहते हैं कि मैं अपने कार्य को बखूबी निभा रहा था, कि एक दिन मुझे बुखार आया तो मैंने अपनी जाँच करायी जिसमें मैं कोरोना संक्रमण से ग्रसित निकला अब तो मुझ को भी डर लगने लगा कि क्या होगा घर वाले भी चिन्तित हो गये पर साथ में कार्य करने वाले स्टाफ़ और मित्रों ने मेरे मन में विश्वास जगाया कि कुछ नहीं होगा जल्द ही स्वस्थ हो जाओगे बस अपना मनोबल नहीं गिरने देना है |मैं डॉ राममनोहर लोहिया चिकित्सालय में बने आइसोलेशन बार्ड में ही आइसोलेट हो गया| आइसोलेशन के दौरान मैंने प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन किया। दवाइयों के साथ हाई प्रोटीन डाइट, प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाले खाद्य पदार्थ और योग किया। इस दौरान अपना मनोबल और धैर्य बनाए रखा।


डॉ॰ सिंह बताते है कि लोगों के मन में कोरोना को लेकर डर बैठा हुआ है, यदि यह हो गया तो जीवन ख़त्म बल्कि ऐसा नहीं है लेकिन बेफिक्र भी नहीं होना है | इससे डरने की नहीं बल्कि सावधानी बरतने की ज़रूरत है। उपचार के दौरान अपने खान-पान पर ध्यान दें। तनाव बिलकुल न लें, इससे प्रतिरोधक क्षमता पर असर पड़ता है। शारीरिक दूरी, मास्क का उपयोग और बार-बार हाथ धोने की आदत डालना कोरोना संक्रमण से काफी हद तक बचने में मदद कर सकता है।

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