यूपी: आरटीई के तहत प्रवेश न देने वाले निजी स्कूलों को नोटिस, अभिभावक काट रहे हैं चक्कर

लखनऊ। शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई के तहत बच्चों का प्रवेश लेने में निजी स्कूल प्रबंधन कतरा रहे हैं, ऐसे में अभिभावक आये दिन विभाग के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। अब तक करीब 80 विद्यालयों की शिकायतें बेसिक शिक्षा विभाग को मिल चुकी हैं, जिसके बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इन विद्यालय प्रबंधकों को नोटिस जारी कर कारण सहित जवाब मांगा है।

बीएसए ने बताया कि आरटीई के मानक के अनुसार राजधानी में 12 हजार 770 बच्चों का चयन हुआ है, अभिभावकों ने विकल्प के तौर पर पांच स्कूलों के नाम दिए थे, उसमें किसी एक विद्यालय प्रबंधन को प्रवेश लेना है, अगर मनमानी की जाती है तो प्रबंधकों खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में पहली से 8वीं कक्षा तक 25 प्रतिशत तक के नामांकन के तहत निशुल्क शिक्षा देनी होती है।

निजी स्कूल प्रबंधकों का आरोप तीन साल से नहीं मिला बजट

वहीं दूसरी ओर राजधानी के अधिकांश निजी स्कूल प्रबंधकों का आरोप है कि आरटीई के तहत मिलने वाला फीस का बजट तीसरा साल शुरू होने के बाद भी नहीं मिला है। वहीं विभाग से कोई संतुष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में हम​ बच्चों का निशुल्क प्रवेश कैसे लें।

एक करोड़ से अधिक का मिला बजट

निजी स्कूल प्रबंधकों का आरोप है कि विभाग को पिछले सत्र में एक करोड़ छह लाख का बजट सरकार की ओर से दिया गया लेकिन उन्हे फीस का पैसा नहीं दिया गया है। जबकि सभी स्कूलों के दस्तवेजों का भौतिक सत्यापन भी करवा लिया गया। लेकिन बजट नहीं जारी किया गया।

कोरोना काल के भुगतान पर असमंजस

वहीं कोरोना काल में अभिभावकों को फीस का भुगतान करने का आदेश देने के बाद अब निजी स्कूलों को सरकार द्वारा फीस की राशि का भुगतान होगा या नहीं इसे लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।

फीस का बजट मिलते ही भुगतान किया जायेगा। लेकिन कोई प्रबंधक चयनित बच्चे को दाखिले से वंचित नहीं कर सकता है, जिनकी शिकायतें आयी हैं उनको नोटिस जारी जवाब मांगा गया है…विजय प्रताप सिंह बीएसए लखनऊ।

बच्चों का निशुल्क प्रवेश तय समय में लिया और पढ़ाया भी गया, लेकिन फीस प्रति पूर्ति का पैसा विभाग की ओर से नहीं किया गया, जबकि तीसरा साल शुरू हो चुका है…वाईपी सिंह प्रबंधक योगिता माण्टेसरी स्कूल।

विभाग ने जो भी पेपर मांगे वह सब समय से जमा कराये जा चुके हैं उसके बाद भी निजी बजट नहीं दिया गया। ऐसे में स्कल प्रबंधकों को अपने पास से शिक्षकों को वेतन देना पड़ा है…आशीष पाण्डेय प्रबंधक सरस्वती एकेडमी।

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