कुछ नयी पुरानी खट्टी-मीठी यादें

कभी साये की तरह साथ रहने वाले बघेल आज एक दूसरे के लिए बने दुश्मन

गाजियाबाद , लायक हुसैन / एक संदेश ब्यूरो। पुलिस की नौकरी से लेकर शिक्षा जगत और फिर पाॅलिटिकल में आना और इस सफर का अंदाजे बयां देखिए, दरअसल हम बात कर रहे हैं एस पी सिंह बघेल की एक समय वह था जब पुलिस विभाग में सब इंस्पेक्टर के पद पर वह हुआ करते थे तब मुलायम सिंह यादव जी पहली बार 1989 मुख्यमंत्री बने और एस पी सिंह बघेल को श्री मुलायम सिंह यादव जी के सुरक्षा कर्मी के रूप में तैनात किया गया, धीरे-धीरे एस पी सिंह बघेल मुलायम सिंह यादव जी के इतने करीबी बन गए कि गुरू चेले वाली कहानी बन गई, अब ऐसी शख्सियत जिसके बारे में हमें जरूर जानना चाहिए, आइये जानते हैं कि एस पी सिंह बघेल का इतिहास कैसा रहा।


और देखिये आज के हालातों से क्या नजर आता है एक बात और है और यह कहावत भी है कि कुर्सी के लिए बाप बेटे का नहीं और बेटा बाप का नहीं, और इसे अब हमें जोड़ देना चाहिए एस पी सिंह बघेल से तो यह बिल्कुल सही साबित हो गया है, चूंकि आज के हालातों को देखते हुए आज मुख्य प्रतिद्वंदी बन गए एस पी सिंह बघेल और मुलायम सिंह यादव जी शायद इसीलिए कहा जाता है कि प्यार और जंग में सब जायज है, एस.पी सिंह बघेल सत्य पाल सिंह बघेल ) जो कि वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के आगरा सीट से सांसद हैं, और बघेल साहब मिलनसार होने के साथ-साथ इटावा के पास उमरई क्षेत्र के ही रहने वाले थे पहली बार 1989 में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मुलायम सिंह यादव जी बने तो इनकी ड्यूटी भी उनकी सुरक्षा में लगायी गयी थी काफी समय तक वो श्री मुलायम सिंह जी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी रहे पढ़े-लिखे होने के साथ-साथ में वो अच्छे वक्ता भी थे शायद उनका मुकाम पुलिस की नौकरी तक सीमित नहीं था इसलिए उन्होंने पुलिस की नौकरी से इस्तीफ़ा देकर शिक्षा जगत में प्रवेश किया और वो एक कॉलेज में प्रोफेसर बन गए लेकिन मुलायम सिंह जी से उनका मिलना जुलना बराबर होता रहा मुलायम सिंह जी ने उन्हें “मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड” का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया, और आने वाले दिनों में उन्हें सन 1998 में समाजवादी पार्टी की तरफ से “जलेसर” लोकसभा सीट का टिकट देकर संसद का सदस्य भी बनवा दिया और ये सिलसिला सन 1999 तथा 2004 में भी चला तीन बार सांसद रहने के बाद किन्ही कारणों से गुरु चेले के बीच मनमुटाव हो गया, तब बघेल जी ने बसपा का दामन थाम लिया और 2010 से 2014 तक राज्यसभा का सदस्य बनकर फिर से संसद में जा पहुंचे लेकिन बहुजन समाज पार्टी में भी ज्यादा दिनों तक इनका मन न लगा फिर इन्होने भारतीय जनता पार्टी की सदस्य्ता ले ली और 2017 ये भाजपा से विधायक बन गए और साथ ही योगी की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाये गए, मुलायम सिंह जी के काफी नजदीकी व्यक्ति होने और उसी क्षेत्र के निवासी होने भाजपा ने इन्हे समाजवादी पार्टी तथा मुलायम सिंह जी के परिवार का मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंदी ही बना दिया और फिर जब सन 2019 में लोकसभा के चुनाव हुए तो भाजपा ने इन्हे फिर से आगरा लोकसभा सीट से टिकट देकर उम्मीदवार बनाया और ये जीत भी गए मोदी सरकार के दूसरे चरण में मंत्रिमंडल विस्तार में इन्हे फिर से केंद्रीय राज्यमंत्री के पद से नवाजा गया जो कि आज तक बरकरार है आज फिर जब अखिलेश यादव जी ने मैनपुरी की “करहल” सीट से अपना नामांकन दाखिल किया तो अचानक एक घंटे बाद ही भाजपा ने फिर से इन्हें अखिलेश के सामने मुख्य प्रतिद्वंदी बनाकर चुनावी जंग में उतार दिया और इन्होने भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव के लिए करहल विधान सभा सीट से ही अपना नामांकन दाखिल किया है शायद इसीलिए कहा जाता है कि “प्यार और जंग में सब जायज है” फोटो में ऊपर सन 1991 में श्री मुलायम सिंह यादव जी के साथ उनके सुरक्षाकर्मी के रूप में लाल घेरे में श्री एस.पी सिंह बघेल जी नीचे सन 1993 में आगरा में “मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड” सम्मलेन के संयोजक तथा मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जनेश्वर मिश्रा जी और मुलायम सिंह जी से बात करते हुए बीच में श्री एस.पी सिंह बघेल इसी का नाम है राजनीति और राजनीति में बाप बेटे का नहीं और बेटा बाप का नहीं।

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